बोफोर्स घोटाले में नया मोड़! अमेरिकी जांचकर्ता से सीबीआई ने मांगी जानकारी
बोफोर्स रिश्वत कांड की जांच एक बार फिर सुर्खियों में है। सीबीआई (CBI) ने अमेरिका के निजी जांचकर्ता माइकल हर्शमैन से इस मामले से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी मांगी है
- Published On :
06-Mar-2025
(Updated On : 06-Mar-2025 11:39 am )
बोफोर्स घोटाले में नया मोड़! अमेरिकी जांचकर्ता से सीबीआई ने मांगी जानकारी
बोफोर्स रिश्वत कांड की जांच एक बार फिर सुर्खियों में है। सीबीआई (CBI) ने अमेरिका के निजी जांचकर्ता माइकल हर्शमैन से इस मामले से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी मांगी है। इसके लिए अमेरिका को न्यायिक अनुरोध पत्र (Letter Rogatory) भी भेजा गया है।

माइकल हर्शमैन ने जताई थी जांच में सहयोग की इच्छा
फेयरफैक्स समूह के प्रमुख माइकल हर्शमैन ने पहले भी भारतीय जांच एजेंसियों के साथ बोफोर्स घोटाले से जुड़ी जानकारी साझा करने की इच्छा जताई थी। उन्होंने 2017 में भारत दौरे के दौरान यह दावा किया था कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस घोटाले की जांच को पटरी से उतार दिया था।
1986 में शुरू हुई थी जांच, बोफोर्स सौदे से जुड़े थे अहम सुराग
माइकल हर्शमैन का दावा है कि 1986 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने उन्हें विदेश में भारतीयों द्वारा मुद्रा नियंत्रण कानून के उल्लंघन और धन शोधन मामलों की जांच के लिए नियुक्त किया था। इसी दौरान उन्हें बोफोर्स सौदे से जुड़े अहम सुराग मिले थे।
सीबीआई को नहीं मिले पुराने दस्तावेज, लेकिन जांच जारी
सीबीआई ने वित्त मंत्रालय से हर्शमैन की जांच से जुड़े दस्तावेज मांगे, लेकिन अब तक कोई ठोस जानकारी नहीं मिली है। बावजूद इसके, सीबीआई ने उनके दावों को गंभीरता से लिया है और आधिकारिक रूप से जानकारी मांगने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
क्या था बोफोर्स घोटाला?
1980 के दशक में हुए इस घोटाले ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया था। उस समय राजीव गांधी सरकार ने स्वीडन की कंपनी बोफोर्स के साथ 1437 करोड़ रुपये में 400 हॉवित्जर तोपों का सौदा किया था। इसमें 64 करोड़ रुपये की रिश्वत देने के आरोप लगे थे।
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2004 में दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को इस मामले में बरी कर दिया था।
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2011 में इस सौदे के बिचौलिये ओत्तावियो क्वात्रोची को भी अदालत ने बरी कर दिया था।
क्या नए खुलासों से बदलेगी जांच की दिशा?
अब सवाल यह है कि माइकल हर्शमैन की नई जानकारी से क्या बोफोर्स घोटाले की जांच फिर से तेज होगी? क्या पुराने दावे नए सबूतों से मजबूत होंगे? सीबीआई की ताजा कार्रवाई से यह मामला फिर से राजनीतिक और कानूनी बहस का केंद्र बन सकता है।
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