नई दिल्ली। वन नेशन वन इलेक्शन को मोदी कैबिनेट से बुधवार को मंजूरी मिल गई है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की की कमेटी ने यह रिपोर्ट तैयार की थी। माना जा रहा है कि अब केंद्र सरकार इसे शीतकालीन सत्र में संसद में लाएगी, लेकिन यह संविधान संशोधन वाला बिल है और इसके लिए राज्यों की सहमति भी जरूरी है।
उल्लेखनीय है कि 2024 के आम चुनाव में बीजेपी ने वन नेशन वन इलेक्शन का वादा किया था। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि हाई लेवल कमेटी की सिफारिशों को मंजूर कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि 1951 से 1967 तक देश में एक साथ ही चुनाव होते थे। अब सरकार इस पर आम सहमति बनाने का प्रयास करेगी।
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने बताया कि समिति ने 191 दिन तक काम किया और 21,558 लोगों से राय ली। 80% लोगों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसमें 47 में से 32 राजनीतिक दल शामिल हैं। समिति ने पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों, चुनाव आयुक्तों और राज्य चुनाव आयुक्तों से भी बात की। वन नेशन, वन इलेक्शन दो चरणों में लागू होगा। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे। दूसरे चरण में स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएंगे।
एनडीए के सहयोगी दल भी कर रहे समर्थन
एनडीए के सहयोगी, जेडीयू और एलजेपी ने भी सरकार के इस कदम का समर्थन किया है, वहीं विपक्षी दलों ने विरोध किया है। जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा कि जेडीयू एनडीए की एक राष्ट्र-एक चुनाव योजना का पूरा समर्थन करता है। ऐसा करने से देश को न केवल लगातार चुनावों से छुटकारा मिलेगा, बल्कि केंद्र स्थिर नीतियों और साक्ष्य-आधारित सुधारों पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।
इसे लागू करना इतना आसान नहीं होगा
इसे लागू करना इतना आसान नहीं होगा। सरकार इसपर बिल लाएगी। संविधान में संशोधन और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के साथ-साथ संभवतः प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा उस संशोधन का अनुमोदन किए बिना न इसे लागू नहीं किया जा सकेगा।
कांग्रेस ने कहा-व्यावहारिक नहीं
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन की व्यवस्था व्यवहारिक नहीं है। भाजपा चुनाव के समय इसके जरिये असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करती है। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था चलने वाली नहीं है।
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