केरल हाई कोर्ट ने जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट पर कोई एक्शन ना लेने के लिए केरल सरकार की आलोचना की है. कोर्ट ने कहा कि जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट 2021 में जब डीजीपी के समक्ष जमा की गयी थी तब केरल सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी.
मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के उत्पीड़न से जुड़ी ये रिपोर्ट 2019 में राज्य सरकार के सामने रखी गयी थी. जस्टिस एके जयसंकरण नांबियार और सीएस सुधा की डिवीज न बेंच ने राज्य सरकार को ये रिपोर्ट एसआईटी को सौंपने का निर्देश दिया है.
एसआईटी को इस रिपोर्ट के आधार पर ये जांच करनी है कि क्या कोई संज्ञेय या असंज्ञेय अपराध किया गया और फिर आगे की कार्रवाई करनी होगी. दो सप्ताह में क्या कार्रवाई हुई, इसकी जानकारी कोर्ट को देनी होगी.
कोर्ट ने कहा, हम इसके बाद देखेंगे कि एसआईटी की कार्रवाई न्यायसंगत है या नहीं.
बेंच ने कहा, हम राज्य सरकार की निष्क्रियता से स्तब्ध हैं. आपको 2019 में रिपोर्ट मिल गयी और आपको पता था कि महिलाएं इन समस्याओं का सामना कर रही हैं. आपने तब तुरंत कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? सुशासन वो है जब सरकार किसी समस्या के सामने आने पर त्वरित कार्रवाई करे.जब सरकार को किसी गंभीर सामजिक समस्या की, अपराध की जानकारी दी जाती है, तब सरकार से कम से कम अपेक्षा क्या होती है? जब सरकार का सामना महिलाओं की अस्मिता से जुड़े किसी सामाजिक मुद्दे से होता है, तब सरकार को क्या करना चाहिए? डीजीपी को फरवरी 2019 में रिपोर्ट सौंपी गयी थी और तब से डीजीपी ने कोई एक्शन नहीं लिया. हम केवल फिल्म इंडस्ट्री में नहीं, बल्कि पूरे केरल में महिलाओं की स्थिति को लेकर चिंतित हैं.
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