जयशंकर की विदेश नीति पर दृष्टि: हनुमान की कूटनीति से सीख और गठबंधन निर्माण पर जोर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारतीय पौराणिक कथाओं के शाश्वत ज्ञान पर प्रकाश डालते हुए हनुमान की कूटनीतिक कुशलता और आधुनिक विदेश नीति के बीच समानताएं बताईं।
- Published On :
25-Feb-2025
(Updated On : 25-Feb-2025 10:49 am )
जयशंकर की विदेश नीति पर दृष्टि: हनुमान की कूटनीति से सीख और गठबंधन निर्माण पर जोर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारतीय पौराणिक कथाओं के शाश्वत ज्ञान पर प्रकाश डालते हुए हनुमान की कूटनीतिक कुशलता और आधुनिक विदेश नीति के बीच समानताएं बताईं। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि गठबंधन निर्माण आज के वैश्विक परिदृश्य में अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है।
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हनुमान की रणनीति और आधुनिक कूटनीति
जयशंकर ने लंका अभियान की कहानी का उल्लेख करते हुए बताया कि भगवान राम ने हनुमान को खुफिया जानकारी जुटाने और सीता माता से मिलने के लिए भेजा था।हनुमान जी ने रावण के दरबार की गतिशीलता को समझा, वहां की स्थिति का विश्लेषण किया और फिर निर्णय लिया। यही आज की कूटनीति का सार है— सहयोगियों को जोड़ना, विभिन्न समूहों का प्रबंधन करना और समान लक्ष्यों की दिशा में कार्य करना।उन्होंने कहा कि विदेश नीति भी ठीक इसी तरह से काम करती है— अलग-अलग देशों को साथ लाना, जिनके विचार भले ही पूरी तरह मेल न खाते हों, लेकिन उन्हें एक साझा लक्ष्य की ओर प्रेरित करना आवश्यक होता है।
गठबंधन निर्माण की आवश्यकता
जयशंकर ने ग्लोबल पॉलिटिक्स में गठबंधन निर्माण की महत्ता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज का दौर सहयोग और रणनीतिक साझेदारी का है, और भारत अपने मित्र देशों के नेटवर्क को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।हम अलग-अलग देशों को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। सभी देशों के विचार एक समान नहीं होते, लेकिन एक साझा लक्ष्य की ओर काम करना जरूरी है।"
अमेरिकी फंडिंग पर जताई चिंता
जयशंकर ने कहा कि ट्रंप प्रशासन से भारत को कुछ चिंताजनक जानकारियां मिली हैं, जिनके अनुसार अमेरिका की कुछ संस्थाओं द्वारा भारत में कुछ गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता दी गई थी।
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उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार इस मामले की जांच कर रही है।
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यूएसएड को भारत में केवल सद्भावनापूर्ण गतिविधियों की अनुमति दी गई थी, लेकिन अगर इसमें कोई दुर्भावनापूर्ण गतिविधि पाई जाती है, तो उसे उजागर किया जाएगा।
देश को पता होना चाहिए कि कौन लोग इन गतिविधियों में शामिल हैं और इसका असली उद्देश्य क्या है।"
सुरक्षा और तकनीकी विस्तार
जयशंकर ने राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी सशक्तिकरण के बीच गहरे संबंध को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी सुरक्षा रणनीतियों का विस्तार तकनीकी क्षेत्र में भी करना होगा, ताकि नई वैश्विक चुनौतियों का सामना किया जा सके।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर का यह दृष्टिकोण भारतीय कूटनीति के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं को जोड़ता है। उन्होंने हनुमान की रणनीति से सीख लेने, गठबंधन निर्माण को मजबूत करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को व्यापक तकनीकी दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता पर बल दिया। यह न केवल भारत की विदेश नीति की दिशा को दर्शाता है, बल्कि विश्व मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका और कूटनीतिक प्रभाव को भी रेखांकित करता है।
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