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भारतीय रुपया ऐतिहासिक गिरावट पर, डॉलर के मुकाबले 87.29 तक लुढ़का

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसलों के बाद वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ गई है, जिसका असर भारतीय रुपये पर भी पड़ा है।

भारतीय रुपया ऐतिहासिक गिरावट पर, डॉलर के मुकाबले 87.29 तक लुढ़का

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसलों के बाद वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ गई है, जिसका असर भारतीय रुपये पर भी पड़ा है। सोमवार को शुरुआती ट्रेड में भारतीय रुपया 67 पैसे गिरकर 87.29 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया।

रुपये की गिरावट के प्रमुख कारण:

 अमेरिका का टैरिफ युद्ध: ट्रंप प्रशासन द्वारा कनाडा, मैक्सिको पर 25% और चीन के उत्पादों पर 10% अतिरिक्त कर लगाने के फैसले से ट्रेड वॉर की आशंका गहरा गई है।
डॉलर की बढ़ती मांग: विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से लगातार बाहर निकलना और तेल आयातक देशों द्वारा डॉलर को प्राथमिकता देने से डॉलर मजबूत हो रहा है।
बाजार में अस्थिरता: बीएसई सेंसेक्स 575.89 अंक गिरकर 76,930.07 पर और निफ्टी 206.40 अंक गिरकर 23,275.75 पर आ गया।

डॉलर की मजबूती और वैश्विक असर

सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के एमडी अमित पबारी ने कहा,
"व्यापार युद्ध के बढ़ते खतरे से बाजार में अस्थिरता बढ़ी है। अमेरिकी डॉलर की मांग तेजी से बढ़ रही है और डॉलर इंडेक्स 1.30% चढ़कर 109.77 पर कारोबार कर रहा है।"

इसके चलते अन्य प्रमुख मुद्राएं भी प्रभावित हुईं:
यूरो: 1.0224 पर गिरा
पाउंड स्टर्लिंग: 1.2261 पर पहुंचा
जापानी येन: 155.54 पर लुढ़का

तेल और विदेशी मुद्रा भंडार का प्रभाव

ब्रेंट क्रूड ऑयल 0.71% बढ़कर 76.21 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जिससे भारत के लिए आयात महंगा हो सकता है।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 24 जनवरी को समाप्त सप्ताह में 5.574 अरब डॉलर बढ़कर 629.557 अरब डॉलर हो गया, जिससे रुपये को स्थिर करने में कुछ मदद मिल सकती है।

आगे क्या?

रुपये की यह गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है। यदि डॉलर की मांग इसी तरह बनी रही और वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ी, तो रुपये में और गिरावट देखने को मिल सकती है।

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