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भारत-चीन संबंध: संतुलन और तात्कालिक तनाव पर विदेश मंत्री जयशंकर का जोर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने  भारत-चीन संबंधों को लेकर संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।

भारत-चीन संबंध: संतुलन और तात्कालिक तनाव पर विदेश मंत्री जयशंकर का जोर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने  भारत-चीन संबंधों को लेकर संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को संतुलन स्थापित करने की दिशा में काम करना चाहिए, हालांकि फिलहाल प्राथमिकता तात्कालिक मुद्दों और तनाव को कम करने पर है।

पूर्वी लद्दाख में सैनिक वापसी समझौता

जयशंकर ने हाल ही में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैनिकों की वापसी और गश्त को लेकर हुए समझौते को महत्वपूर्ण करार दिया। यह समझौता 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद, LAC पर तनाव कम करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। इस संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच यह सबसे गंभीर सैन्य तनाव रहा है।

बदलती वैश्विक परिस्थितियों में संतुलन की चुनौती

जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन दोनों ही तेजी से बदल रहे हैं और दुनिया में भी बड़े बदलाव हो रहे हैं। इन परिस्थितियों में संतुलन बनाना एक जटिल स्थिति है। उन्होंने कहा कि यह चुनौतीपूर्ण है, लेकिन फिलहाल सरकार का ध्यान तात्कालिक तनाव को कम करने पर केंद्रित है।

भारत-चीन रक्षा मंत्रियों की बैठक

विदेश मंत्री ने जानकारी दी कि 3 दिसंबर को भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की मुलाकात हुई थी। बैठक में हाल ही में हुए सैनिक वापसी समझौते की प्रगति और तनाव कम करने की आवश्यकता पर चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने आगे की वार्ताओं और बैठकों की जरूरत पर सहमति जताई।

चीन पर बढ़ी चर्चा

जयशंकर ने कहा कि पिछले चार वर्षों में भारत में चीन को लेकर जितनी चर्चा हुई है, उतनी पहले कभी नहीं हुई थी। उन्होंने कहा कि 2020 से पहले पेट्रोलिंग प्वाइंट जैसे शब्द आम चर्चा का हिस्सा नहीं थे। उन्होंने यह भी बताया कि 1990 के दशक में भारत और चीन के बीच हुए सैन्य समझौतों को अब भी गोपनीय रखा गया है।

रणनीतिक साझेदारी और राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता

विदेश मंत्री ने 2005 के भारत-चीन रणनीतिक साझेदारी समझौते का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय कई लोग इसे लेकर संदेह जता रहे थे। उन्होंने बताया कि जब यह समझौता हुआ था, तब सैन्य विशेषज्ञ भी हैरान थे।

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