नई दिल्ली। दुनिया भर में लगभग 2.3 बिलियन लोग आज भी खुली आग, चूल्हा केरोसिन, बायोमास यानी लकड़ी, पशुओं के गोबर या फिर कोयले से चलने वाले स्टोव का इस्तेमाल कर खाना पकाते हैं। इससे निकलने वाला हानिकारक घरेलू वायु प्रदूषण लोगों की सेहत पर भारी पड़ता है। इसे लेकर आई WHO की रिपोर्ट चौंकानेवाली है। यह नुकसानदायक हाउसहोल्ड एयर पॉल्यूशन ना सिर्फ लोगों की सेहत बिगाड़ रहा है बल्कि खास तौर पर बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है।
गैस सिलेंडर से लेकर एयर फ्रायर तक भले ही तकनीक बेहद आधुनिक हो गई हो लेकिन आज भी दुनिया भर के तकरीबन 2.3 बिलियन आबादी चूल्हा, स्टोव या फिर कोयले और लकड़ी का इस्तेमाल कर खाना पकाने की मजबूर हैं। इनमें से अधिकांश लोग गरीब और निम्न तबके से आने वाले हैं। WHO की रिपोर्ट पर नज़र डालें तो घरेलू वायु प्रदूषण के चलते साल 2020 में प्रति वर्ष अनुमानित 3.2 मिलियन मौतों के लिए जिम्मेदार था, जिसमें 5 साल से कम उम्र के 2 लाख 37 हज़ार से अधिक बच्चों की मौतें शामिल थीं।
घरेलू ईंधन से इन बीमारियों का बढ़ा खतरा
घरेलू वायु प्रदूषण के कारण स्ट्रोक, हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और फेफड़ों का कैंसर सहित नॉन-कम्युनिकेबल डिसीसिस हो रही है। आंकड़ों पर नजर डालें तो महिलाएं और बच्चे खास और ऊपर इस तरह की बीमारियों का शिकार होते हैं। घरेलू वायु प्रदूषण से होने वाले प्रदूषण में स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले कई तरह के प्रदूषक शामिल होते हैं। जिनमें छोटे कण होते हैं जो फेफड़ों में गहराई तक घुस जाते हैं और ब्लड सर्कुलेशन में प्रवेश कर जाते हैं। जब घर की महिलाएं चूल्हे या फिर खुली आग में खाना पकाती हैं तो घर के अंदर धुआं बढ़ जाता है और यह धुआं छोटे बच्चों की सेहत को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है और जानलेवा तक साबित होता है।
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