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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अतिक्रमण करने वाले किसी भी धार्मिक ढांचे को हटाया जाना उचित, लोगों की सुरक्षा सर्वोपरि

बुलडोजर एक्शन पर सुनवाई, कोर्ट ने कहा-आरोपी होना मकान गिराने का आधार नहीं

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि सड़क, जल निकायों या रेल पटरियों पर अतिक्रमण करने वाले किसी भी धार्मिक ढांचे को हटाया जाना उचित है। सार्वजनिक सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए कोर्ट ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और अतिक्रमण विरोधी अभियान के लिए उसके निर्देश सभी धर्म के नागरिकों के लिए होंगे।

सुप्री कोर्ट ने कहा कि लोगों की सुरक्षा सर्वोपरि है। सड़क के बीच धार्मिक निर्माण गलत है। अवैध मंदिर, दरगाह को हटाना होगा। लोगों की सुरक्षा सबसे जरूरी कदम है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में दिशा निर्देश जारी करेगा। कोई भी आरोपी या दोषी है यह डेमोलेशन का आधार नहीं हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि वह अवैध निर्माण हो हटाने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन वह दिशा निर्देश जारी करेंगे। हमारा देश धर्म निरपेक्ष है और सभी नागरिकों की रक्षा के लिए निर्देश जारी होगा।

जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका

देश के विभिन्न स्थानों पर बुलडोजर एक्शन को लेकर जमीयत उलेमा हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं, हम सभी नागरिकों के लिए गाइडलाइन जारी करेंगे। हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म का हो। सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण हटाने की ही छूट रहेगी।

आरोपी होना मकान गिराने का आधार नहीं

सुनवाई के दौरान यूपी सरकार के लिए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता उपस्थित हुए। वे मध्य प्रदेश और राजस्थान की तरफ भी पेश हुए। उन्होंने रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजने की व्यवस्था करने का सुझाव दिया। नोटिस में 10 दिन का समय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी छवि बनाई जा रही है, जैसे एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था में हैं। अवैध निर्माण हिंदू का हो या मुस्लिम का, कार्रवाई होनी चाहिए। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि अगर  दो अवैध ढांचे हैं और आप किसी अपराध के आरोप को आधार बना कर उनमें से सिर्फ 1 को गिराते हैं, तो सवाल उठेंगे ही। इस दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि आरोपी या दोषी होना मकान गिराने का आधार नहीं हो सकता

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