तमिलनाडु में तीन भाषा नीति पर विवाद, डीएमके और भाजपा में तीखी जुबानी जंग
तमिलनाडु में नई शिक्षा नीति के तहत तीन भाषाएं पढ़ाने के मुद्दे पर सत्ताधारी डीएमके और भाजपा के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है।
- Published On :
08-Mar-2025
(Updated On : 08-Mar-2025 11:18 am )
तमिलनाडु में तीन भाषा नीति पर विवाद, डीएमके और भाजपा में तीखी जुबानी जंग
तमिलनाडु में नई शिक्षा नीति के तहत तीन भाषाएं पढ़ाने के मुद्दे पर सत्ताधारी डीएमके और भाजपा के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने दावा किया कि उनके हस्ताक्षर अभियान को जनता का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है, जबकि मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने इसे "हंसी का पात्र" बताया है।

अन्नामलाई का पलटवार:
तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के. अन्नामलाई ने सोशल मीडिया पर लिखा,
"थिरु एम. के. स्टालिन, हमारे ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान को 36 घंटे में पूरे तमिलनाडु में दो लाख से ज्यादा लोगों का समर्थन मिल चुका है। आप इससे नाराज हैं, लेकिन आपके आरोप हमारे अभियान को प्रभावित नहीं कर सकते।"
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि डीएमके सत्ता में होते हुए भी ऐसा अभियान नहीं चला पाई।
हिंदी थोपने के आरोप पर BJP की प्रतिक्रिया:
अन्नामलाई ने स्टालिन पर आरोप लगाया कि वे "हिंदी थोपे जाने" का झूठा प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा,
"आपका हिंदी थोपने का फर्जी ड्रामा सबके सामने खुल चुका है, लेकिन आपको इसका अहसास नहीं हुआ है।

स्टालिन का BJP पर हमला:
मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने भाजपा के अभियान पर तंज कसते हुए कहा,
"अब भाजपा हस्ताक्षर अभियान का सर्कस कर रही है, जो पूरे तमिलनाडु में हंसी का पात्र बन चुका है।"
उन्होंने भाजपा को 2026 के विधानसभा चुनाव में इसे मुख्य एजेंडा बनाने की चुनौती देते हुए कहा,
"जिस किसी ने भी तमिलनाडु में हिंदी थोपने की कोशिश की, उसे हार या यू-टर्न का सामना करना पड़ा। हमारा राज्य अंग्रेजों की गुलामी के बाद हिंदी औपनिवेश को सहन नहीं करेगा।"
क्या तमिलनाडु में भाषाई राजनीति तेज होगी?
यह विवाद आने वाले दिनों में और गहरा सकता है, क्योंकि भाजपा और डीएमके दोनों इसे तमिल अस्मिता से जोड़कर देख रहे हैं। 2026 के विधानसभा चुनाव तक यह मुद्दा बड़ा राजनीतिक रंग ले सकता है।
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