Home / भारत

सोने की तस्करी पर लगाम: आयात शुल्क कटौती से बड़ा असर

भारत में जुलाई 2024 में बहुमूल्य धातुओं पर आयात शुल्क में कटौती के बाद से सोने की तस्करी में उल्लेखनीय गिरावट आई है

सोने की तस्करी पर लगाम: आयात शुल्क कटौती से बड़ा असर

भारत में जुलाई 2024 में बहुमूल्य धातुओं पर आयात शुल्क में कटौती के बाद से सोने की तस्करी में उल्लेखनीय गिरावट आई है। अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने यह जानकारी दी, हालांकि उन्होंने जब्त किए गए सोने की मात्रा या मूल्य का खुलासा नहीं किया।

सोने की तस्करी पर सख्त निगरानी

सीमा शुल्क अधिकारी मादक पदार्थों और सोने की तस्करी को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्री यातायात, सीमाओं और वाणिज्यिक कार्गो पर कड़ी निगरानी बनाए हुए हैं। सरकार ने जुलाई 2024 में सोने पर आयात शुल्क को 15% से घटाकर 6% कर दिया था, जिससे अवैध आयात में गिरावट दर्ज की गई है।

तस्करी के नए हॉटस्पॉट

पश्चिम एशियाई और दक्षिण-पूर्व एशियाई देश सोने की तस्करी के पारंपरिक स्रोत रहे हैं, लेकिन अब नैरोबी, अदीस अबाबा और ताशकंद जैसे एयरपोर्ट भी तस्करी के लिए प्रमुख केंद्र बन रहे हैं।

डीआरआई ने जब्त किया 847 किलो सोना

चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-जून तिमाही में सीमा शुल्क और राजस्व आसूचना निदेशालय (DRI) ने 544 करोड़ रुपये मूल्य का 847 किलोग्राम सोना जब्त किया है। पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में डीआरआई ने 1,319 किलो सोना जब्त किया था, जो सीबीआईसी द्वारा जब्त 4,869.6 किलो सोने का हिस्सा था।

भारत बना अवैध सोने का प्रमुख गंतव्य

डीआरआई की दिसंबर 2024 रिपोर्ट के अनुसार, भारत अवैध सोने के आयात का प्रमुख केंद्र बन गया है। UAE और सऊदी अरब जैसे खाड़ी देशों से कम कीमतों पर उपलब्ध सोना अवैध रूप से भारत लाया जा रहा है।

 

विदेशी निवेशकों की बिकवाली से शेयर बाजार पर दबाव

दूसरी ओर, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा भारतीय बाजारों से निकासी जारी है।

  • फरवरी 2025 के पहले सप्ताह में विदेशी निवेशकों ने 7,300 करोड़ रुपये से अधिक निकाले।

  • जनवरी 2025 में FPI ने 78,027 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी।

  • दिसंबर 2024 में FPI ने भारतीय बाजार में 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था।

बाजार पर वैश्विक आर्थिक कारकों का असर

विशेषज्ञों के अनुसार, बाजार की दिशा वैश्विक आर्थिक घटनाक्रमों, घरेलू नीतिगत फैसलों और रुपये के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करेगी।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के वीके विजयकुमार के मुताबिक, डॉलर की मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड पर ऊंचे रिटर्न के कारण एफपीआई लगातार भारतीय बाजारों से निकासी कर रहे हैं।

आगे क्या होगा?

यदि सोने की तस्करी पर सख्ती जारी रहती है और विदेशी निवेशकों की बिकवाली पर काबू पाया जाता है, तो भारतीय बाजार स्थिरता बनाए रख सकता है। हालांकि, वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां और घरेलू नीतिगत निर्णय बाजार की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

 

You can share this post!

एफआईआई निवेश पर खतरा: क्या भारतीय शेयर बाजार पर मंडरा रहा है जोखिम?

Leave Comments