मुंबई। सेबी की पूर्व चीफ माधबी पुरी बुच को बांबे हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। हाई कोर्ट ने एक विशेष अदालत के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें बुच पर और पांच अन्य पर एफआईआर दर्ज करने को कहा गया था। यह मामला शेयर बाजार में धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघन का था।
न्यायमूर्ति शिवकुमार डिगे ने अपने फैसले में कहा कि विशेष अदालत के 1 मार्च के फैसले में मामले की बारीकियों पर गौर नहीं किया गया और न ही अभियुक्तों द्वारा गलत काम किए जाने की स्पष्ट पहचान की गई। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि विशेष अदालत का आदेश अवैध और मनमाना था और उन्होंने इसे रद्द करने की मांग की। वहीं सेबी ने अपने बयान में एसीबी अदालत में दायर आवेदन की आलोचना करते हुए इसे छोटा मामला बताया था और इस बात पर प्रकाश डाला कि इसमें शामिल अधिकारी कथित घटनाओं के समय अपने पदों पर नहीं थे।
उल्लखनीय है कि मुंबई की एक विशेष अदालत ने पूर्व सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ शेयर बाजार में धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघन के आरोपों में मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। अदालत ने यह भी कहा था कि वह जांच की निगरानी करेगी और 30 दिनों के भीतर मामले की स्थिति रिपोर्ट मांगी थी। विशेष अदालत के जज शशिकांत एकनाथराव बंगार ने एक पत्रकार सपन श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में नियामक लापरवाही और मिलीभगत के प्राथमिक सबूत हैं, जिसके लिए एक निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। याचीकाकर्ता सपन श्रीवास्तव ने इस मामले में जांच की मांग की थी। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपों में एक संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ है, जिसके लिए जांच जरूरी है। साथ ही, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सेबी की निष्क्रियता के कारण न्यायिक हस्तक्षेप आवश्यक हो गया है। माधबी पुरी बुच के अलावा बीएसई के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुंदररमन राममूर्ति, तत्कालीन चेयरमैन और पब्लिक इंटरेस्ट डायरेक्टर प्रमोद अग्रवाल और सेबी के होल-टाइम मेंबर अश्वनी भाटिया, अनंत नारायण जी और कमलेश चंद्र वार्ष्णेय शामिल हैं।
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