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तेजस लड़ाकू विमान में बड़ी सफलता! DRDO ने किया ऑन-बोर्ड ऑक्सीजन जनरेटिंग सिस्टम का सफल परीक्षण

DRDO ने भारतीय वायुसेना के तेजस लड़ाकू विमान में पायलटों के लिए इंटीग्रेटेड लाइफ सपोर्ट सिस्टम (ILSS) का सफल परीक्षण कर एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है

तेजस लड़ाकू विमान में बड़ी सफलता! DRDO ने किया ऑन-बोर्ड ऑक्सीजन जनरेटिंग सिस्टम का सफल परीक्षण

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भारतीय वायुसेना के तेजस लड़ाकू विमान में पायलटों के लिए इंटीग्रेटेड लाइफ सपोर्ट सिस्टम (ILSS) का सफल परीक्षण कर एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह प्रणाली युद्ध के दौरान पायलटों को बेहतर सांस लेने में मदद करेगी और पारंपरिक सिलेंडर आधारित ऑक्सीजन पर निर्भरता खत्म करेगी।

कैसे काम करेगा नया लाइफ सपोर्ट सिस्टम?

- ILSS ऑन-बोर्ड ऑक्सीजन जनरेटिंग सिस्टम (OBOGS) तकनीक पर आधारित है, जो विमान के अंदर ही ऑक्सीजन तैयार करता है।
- इससे पायलटों को 50,000 फीट की ऊंचाई पर भी ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं होगी।
- पारंपरिक ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत खत्म होगी, जिससे लड़ाकू विमानों की स्वायत्तता और मिशन की अवधि बढ़ेगी।

कौन-कौन से विमान होंगे शामिल?

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, ILSS को उचित संशोधनों के बाद मिग-29K और अन्य लड़ाकू विमानों में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।

तेजस विमान पर सफल परीक्षण, 50,000 फीट की ऊंचाई पर हुई उड़ान

- 4 मार्च 2025 को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित एलसीए-प्रोटोटाइप वाहन-3 (LCA-PV3) पर इस सिस्टम का परीक्षण किया गया।
- परीक्षण के दौरान सभी निर्धारित मापदंडों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
- स्वदेशी तकनीक पर आधारित यह सिस्टम 90% स्वदेशी सामग्री से बना है, जो भारत की आत्मनिर्भरता को और मजबूत करता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी बधाई

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, भारतीय वायुसेना, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और भागीदार उद्योगों को इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली ‘विकसित भारत 2047’ के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है और भारत की आधुनिक रक्षा तकनीक में मजबूती को दर्शाता है।

क्या होगा इस तकनीक का फायदा?

- पायलटों को युद्ध और लंबे मिशन के दौरान निर्बाध ऑक्सीजन आपूर्ति मिलेगी।
- भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल क्षमता में बढ़ोतरी होगी।
- ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भरता खत्म होने से मिशन की अवधि बढ़ेगी।
- स्वदेशी तकनीक से भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।

 क्या यह भारत को आधुनिक लड़ाकू विमान तकनीक में आत्मनिर्भर बनाएगा?
इस नई तकनीक से भारतीय वायुसेना को नई मजबूती मिलेगी और देश की रक्षा क्षमताओं को और उन्नत किया जाएगा। यह DRDO की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत एक और बड़ी सफलता है।

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