अटल बिहारी वाजपेयी: एक युग, एक विचार, एक प्रेरणा
25 दिसंबर का जिक्र आते ही सबके जेहन में क्रिसमस घूम जाता है इस दिन जहाँ प्रभु इशू का जन्म हुआ था वहीं इसी दिन एक और महान व्यक्तित्व का भी जन्म हुआ था
- Published On :
25-Dec-2024
(Updated On : 25-Dec-2024 11:41 am )
Article By :
Abhilash Shukla
अटल बिहारी वाजपेयी: एक युग, एक विचार, एक प्रेरणा
25 दिसंबर का जिक्र आते ही सबके जेहन में क्रिसमस घूम जाता है इस दिन जहाँ देवदूत प्रभु यीशु का जन्म हुआ था वहीं इसी दिन एक और महान व्यक्तित्व का भी जन्म हुआ था | 25 दिसंबर की तारीख भारतीय राजनीति के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण तारीख है दरअसल ये वही तारीख है जिस दिन एक महान जन नायक ने जन्म लिया था जी हाँ हम बात कर रहे है उसी महान जननायक अटल बिहारी बाजपाई की , इस साल की 25 दिसंबर तो और ख़ास है क्योकि ये साल महान नेता का जन्म शताब्दी वर्ष भी है भारत के महान सपूत, पूर्व प्रधानमंत्री और ओजस्वी नेता अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के अवसर पर हम न केवल एक व्यक्तित्व को स्मरण कर रहे हैं, बल्कि उनके विचारों, कृतित्व और कविताओं से प्रेरणा ले रहे हैं। अटल जी ने राजनीति को नई दिशा दी, कविताओं से हृदय जीते, और अपने भाषणों से देशवासियों के मन में अदम्य विश्वास जगाया। उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणा और नेतृत्व का अद्वितीय उदाहरण है।

अटलजी के भाषणों में राष्ट्रवादी विचारों की गूंज सुनाई देती थी वैसे तो अटलजी ने कई ऐतिहासिक भाषण दिए जिनमें 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में दिया गया भाषण और 1999 में कारगिल विजय पर संसद में दिया भाषण भारतीयों के आत्मविश्वास और राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण और दृढ़ निश्चय को उजागर करता था
अटल जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा था हम यह मानते हैं कि मानवता के विकास का आधार केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी नहीं है, बल्कि यह सत्य, अहिंसा और नैतिकता पर आधारित होना चाहिए।
यह भाषण भारतीय अस्मिता और हिंदी भाषा को वैश्विक मंच पर स्थापित करने वाला ऐतिहासिक क्षण था। अटल जी ने हिंदी में अपने विचार प्रस्तुत कर न केवल भारत की सांस्कृतिक समृद्धि का परिचय दिया, बल्कि भारतीयों के आत्मविश्वास को भी प्रबल किया।
वहीं उन्होंने कारगिल विजय पर संसद में दिए भाषाण में कहा था हमने कभी किसी पर हमला नहीं किया, लेकिन अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए जो आवश्यक है, वह हम करेंगे।
यह भाषण उस समय भारतीय सेना और देशवासियों के साहस का प्रतीक बना। कारगिल विजय के बाद संसद में दिए गए उनके शब्दों ने राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण और दृढ़ निश्चय को उजागर किया।

अटल जी की कविताएँ भी संघर्ष और आशा की ज्योति लिए होती थीं "हार नहीं मानूंगा" और "कदम मिलाकर चलना होगा" ऐसी ही अटल जी की दो कविता हैं
हार नहीं मानूंगा,
रार नहीं ठानूंगा।
काल के कपाल पर
लिखता मिटाता हूँ।
गीत नया गाता हूँ।
यह कविता विपरीत परिस्थितियों में अटल जी की अदम्य जिजीविषा का प्रतीक है। उनके शब्द बताते हैं कि असफलता के बावजूद कैसे आत्मविश्वास और सकारात्मकता बनाए रखी जा सकती है।
"कदम मिलाकर चलना होगा"
कदम मिलाकर चलना होगा,
बाधाएँ आती हैं आएँ,
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ।
यह कविता संघर्ष, एकता और सामूहिक प्रयास की महत्ता को रेखांकित करती है। अटल जी के शब्द न केवल काव्य हैं, बल्कि समाज को प्रेरित करने वाले मंत्र हैं।

अटल जी का योगदान: राष्ट्र के प्रति समर्पण
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के ऐसे नायक थे, जिन्होंने सत्ता को सेवा का माध्यम बनाया। उनके कार्यकाल में पोखरण परमाणु परीक्षण, स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना, और कारगिल युद्ध में विजय जैसे अनेक ऐतिहासिक कार्य हुए। उन्होंने भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की दिशा में अद्वितीय योगदान दिया।
उनका नेतृत्व राजनीति और नैतिकता का अनुपम संगम था। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने पारदर्शिता और प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया।यही वजह भी थी कि विरोधी भी उनके प्रशंसक थे
अटल जी का संदेश: आज भी प्रासंगिक
अटल जी का जीवन हमें सिखाता है कि राजनीति केवल सत्ता प्राप्त करने का साधन नहीं, बल्कि समाज सेवा का माध्यम होनी चाहिए। उनके शब्द, “छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता,” आज भी हर भारतीय को प्रेरणा देते हैं।अटल जी के विचार, उनके भाषण और उनकी कविताएँ युगों तक प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी। ऐसे महापुरुष को बारम्बार नमन |
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