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तेजस लड़ाकू विमानों की देरी पर वायुसेना प्रमुख की चिंता: आत्मनिर्भरता के लिए समयबद्धता की जरूरत

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने भारत में बने तेजस लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण में हो रही देरी पर गहरी चिंता जताई।

तेजस लड़ाकू विमानों की देरी पर वायुसेना प्रमुख की चिंता: आत्मनिर्भरता के लिए समयबद्धता की जरूरत

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने भारत में बने तेजस लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण में हो रही देरी पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और वायुसेना की तैयारियों के लिए चुनौतीपूर्ण बताया।

तेजस परियोजना में देरी: एक दीर्घकालिक मुद्दा

  • 1984: तेजस परियोजना की शुरुआत।
  • 2001: तेजस का पहली बार उड़ान परीक्षण।
  • 2016: वायुसेना में तेजस को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू।
  • 2025: अभी भी पहले 40 विमानों के अधिग्रहण का इंतजार।

मुख्य बिंदु:

  1. समयसीमा का महत्व:
    वायुसेना प्रमुख ने कहा,
    "रक्षा क्षेत्र में समय सबसे अहम है। तकनीक समय पर पूरी न हो तो उसकी उपयोगिता खत्म हो जाती है।"
  2. चीन से तुलना:
    • चीन ने अपने छठी पीढ़ी के जे-20 और जे-35 स्टील्थ लड़ाकू विमानों को रिकॉर्ड समय में तैयार किया है।
    • चीन ने छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण भी शुरू कर दिया है, जबकि भारत पांचवीं पीढ़ी के तेजस विमानों के अधिग्रहण में भी पिछड़ा हुआ है।
  3. उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर चुनौतियां:
    • चीन और पाकिस्तान अपनी सैन्य क्षमताओं में तेजी से इजाफा कर रहे हैं।
    • चीन तकनीक और संख्या दोनों में बढ़त बना रहा है।

वायुसेना प्रमुख के सुझाव

  1. प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा:
    रक्षा उत्पादन इकाइयों को प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए मजबूर करना होगा।
    "ऑर्डर छिनने का डर होना चाहिए, तभी गुणवत्ता और समयसीमा में सुधार होगा।"
  2. अनुसंधान और विकास में निवेश:
    • अनुसंधान और विकास (R&D) में रक्षा बजट का हिस्सा 5% से बढ़ाकर 15% करने की जरूरत।
    • R&D और उत्पादन प्रक्रियाओं में समयबद्धता सुनिश्चित करनी होगी।
  3. निजी क्षेत्र की भागीदारी:
    निजी क्षेत्र को रक्षा उत्पादन में अधिक शामिल करने की आवश्यकता है।
  4. आधुनिक उत्पादन प्रक्रिया:
    उत्पादन इकाइयों को अपने कार्यबल को प्रशिक्षित करने और आधुनिक उत्पादन तकनीकों में निवेश करने की सलाह दी।

तेजस का महत्व

तेजस, भारत का स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान, अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। यह हल्का और मल्टीरोल क्षमता वाला विमान है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित किया जा रहा है।

चीन से सीखने की जरूरत

चीन ने अपने स्टील्थ तकनीक वाले लड़ाकू विमानों को तेजी से विकसित कर दिखा दिया है कि समयबद्धता और संसाधनों का उचित उपयोग कैसे किया जा सकता है।

वायुसेना प्रमुख का यह बयान भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण चेतावनी  के रूप में देखा जा रहा है यदि समय पर सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

 

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