केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल गांधी की आलोचना की
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के सार्वजनिक बैंकों (पीएसबी) पर दिए गए बयानों की तीखी आलोचना की है।
- Published On :
13-Dec-2024
(Updated On : 13-Dec-2024 09:45 am )
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल गांधी की आलोचना की
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के सार्वजनिक बैंकों (पीएसबी) पर दिए गए बयानों की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में पीएसबी को उनके 'व्यापारी मित्रों' के लिए एटीएम के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
राहुल गांधी के आरोप
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक बैंकों को अमीर और शक्तिशाली निगमों के लिए निजी वित्तीय संस्थानों में बदल दिया है। उन्होंने कहा कि इन बैंकों को आम नागरिकों को ऋण मुहैया कराने के उद्देश्य से बनाया गया था, लेकिन अब उनका उपयोग बड़े कॉरपोरेट्स के हित में हो रहा है।
निर्मला सीतारमण का पलटवार
राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा, "राहुल गांधी ने एक बार फिर आधारहीन बयान दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सार्वजनिक बैंकों ने जबरदस्त बदलाव और सुधार देखा है।" उन्होंने कांग्रेस के शासनकाल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उस समय अंधाधुंध ऋण देने के कारण पीएसबी का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ था।
कांग्रेस सरकार पर आरोप
सीतारमण ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पीएसबी को फोन बैंकिंग के माध्यम से 'क्रोनीज' को ऋण देने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने बताया कि 2015 में मोदी सरकार द्वारा किए गए एक रिव्यू में कांग्रेस शासन की फोन बैंकिंग प्रणाली का खुलासा हुआ था।
मोदी सरकार की उपलब्धियां
वित्त मंत्री ने बताया कि पीएम मोदी के कार्यकाल में पीएसबी को 3.26 लाख करोड़ रुपये का पूंजीकरण दिया गया। उन्होंने जन धन योजना, पीएम मुद्रा, और स्टैंड-अप इंडिया जैसी योजनाओं का भी जिक्र किया, जिनसे लाखों नागरिकों को बैंकिंग सेवाओं का लाभ मिला।
राहुल गांधी पर निशाना
सीतारमण ने राहुल गांधी द्वारा पीएसबी की उपलब्धियों को गलत तरीके से पेश करने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने इसे बैंकों के कर्मचारियों और उन नागरिकों का अपमान बताया, जिन्हें बैंकिंग प्रणाली के सुधारों से फायदा हुआ है।
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