सुप्रीम कोर्ट की असम सरकार को फटकार – "क्या आप किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?"
सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए विदेशी घोषित किए गए व्यक्तियों को अनिश्चितकाल तक निरुद्ध केंद्रों में रखने पर आपत्ति जताई।
- Published On :
05-Feb-2025
(Updated On : 05-Feb-2025 11:01 am )
सुप्रीम कोर्ट की असम सरकार को फटकार – "क्या आप किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?"
सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए विदेशी घोषित किए गए व्यक्तियों को अनिश्चितकाल तक निरुद्ध केंद्रों में रखने पर आपत्ति जताई। कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि क्या वह निर्वासन के लिए किसी "मुहूर्त" का इंतजार कर रही है?
दो सप्ताह के भीतर निर्वासन का आदेश
जस्टिस अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने स्पष्ट निर्देश दिया कि असम सरकार दो सप्ताह के भीतर हिरासत केंद्रों में रखे गए 63 लोगों को उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू करे।
पीठ ने कहा:आपने यह कहकर निर्वासन की प्रक्रिया शुरू करने से इनकार कर दिया कि उनके पते पता नहीं हैं। यह हमारी चिंता क्यों होनी चाहिए? आप उन्हें उनके देश भेज दें। क्या आप किसी शुभ समय का इंतजार कर रहे हैं?
विदेशी घोषित लोगों को अनिश्चितकाल तक हिरासत में रखना अस्वीकार्य
सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि निर्वासन संभव नहीं है क्योंकि प्रवासियों ने अपने विदेशी पते का खुलासा नहीं किया था।
पीठ ने राज्य सरकार के वकील से पूछा जब आप किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित करते हैं, तो आपको अगला तार्किक कदम उठाना चाहिए। आप उन्हें अनिश्चित काल तक निरुद्ध केंद्र में नहीं रख सकते। संविधान में अनुच्छेद 21 मौजूद है, जो जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करता है।"
असम में निरुद्ध केंद्रों की स्थिति पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह बताएं कि अब तक कितने विदेशी घोषित लोगों को निर्वासित किया गया है।
शीर्ष अदालत ने असम सरकार को आदेश दिया कि:
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दो सप्ताह के भीतर 63 विदेशी नागरिकों को उनके देश भेजने की प्रक्रिया शुरू करे।
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निर्वासन की स्थिति पर अनुपालन हलफनामा दाखिल करे।
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निरुद्ध केंद्रों में रहने की स्थिति और सुविधाओं को लेकर भी विस्तृत रिपोर्ट पेश करे।
क्या है मामला?
असम में विदेशी घोषित किए गए कई लोगों को हिरासत केंद्रों में रखा गया है, लेकिन राज्य सरकार उनके निर्वासन को लेकर ठोस कार्रवाई नहीं कर रही थी। सरकार ने यह तर्क दिया था कि इन प्रवासियों ने अपने विदेशी पते साझा नहीं किए हैं, जिससे निर्वासन मुश्किल हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब असम सरकार पर निर्वासन प्रक्रिया को जल्द पूरा करने का दबाव बढ़ गया है।
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