कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने जारी किए गए बयान में कहा है कि हिंडनबर्ग के नए खुलासे से यह मालूम चला है कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस आधारित उन्हीं ऑफशोर फंड्स में निवेश किया था जिनमें गौतम अदानी के भाई विनोद अदानी और उनके सहयोगी चांग चुंग-लिंग, नास्सर अली और शाहबान अली ने निवेश किया था.
बयान में कहा गया है कि यह फंड्स बिजली उपकरणों के ओवर इनवॉसिंग से अर्जित किए गए थे. ऐसा माना जा रहा है कि इन फंड्स का प्रयोग सेबी के नियमों का उल्लंघन करते हुए अदानी समुह की कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए किया गया था.
इससे 2022 में मधाबी पुरी बुच के सेबी के चेयरपर्सन बनने के बाद उनसे की गई अदानी की मुलाकातों पर सवाल खड़े होते हैं. आपको याद दिलाना चाहेंगे कि उस वक्त सेबी अदानी के लेनदेन से जुड़े मामले की जांच कर रहा था.
बयान में कहा गया है कि सच्चाई तो यह है कि देश के सर्वोच्च अधिकारियों की मिलीभगत का पता अदानी मेगा स्कैम की पूरी जांच के लिए जेपीसी का गठन करके ही लगाया जा सकता है.
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