नई दिल्ली। दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग हादसा मामले की जांच हाई कोर्ट ने सीबीआई को सौंप दी है। दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने शुक्रवार को कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए हम जांच सीबीआई को ट्रांसफर कर रहे हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बने। इसमें डीडीए के वीसी (उपाध्यक्ष), एमसीडी कमिश्नर, पुलिस कमिश्नर भी शामिल हों। जज ने चीफ सेक्रेट्री की अध्यक्षता वाली कमेटी को 4 सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा।
सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि गनीमत है कि जैसे आपने ड्राइवर को गिरफ्तार किया, वैसे पानी का चालान नहीं काट दिया। पूरा मामला आपराधिक लापरवाही का है। जिम्मेदारों को ढूंढिए। आपने कीमती समय बर्बाद किया। फाइल नहीं जब्त किए। हो सकता है, अब तक उन्हें बदल दिया गया हो। क्या इस तरह जांच होती है?
पूरा ढांचा पुराना हो चुका है- हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि सब एक दूसरे के पाले में गेंद डालते रहते हैं। एक साथ मिल कर लोगों के लिए काम नहीं करते हैं। एमसीडी कमिश्नर सुनिश्चित करें कि सभी नाले साफ हों। अगर उन पर अतिक्रमण है, तो उसे हटाया जाए। एमसीडी अपने कर्तव्य निभा नहीं पा रही है। ऐसा लगता है कि एमसीडी को भंग कर देने की ज़रूरत है। दिल्ली की सिविक एजेंसियों के पास काम के लिए फंड ही नहीं है। दिल्ली में नागरिक सुविधाओं का पूरा ढांचा पुराना हो चुका है।
तीन छात्रों की हो गई थी मौत
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में पिछले हफ्ते शनिवार (27 जुलाई) को राव कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से तीन छात्रों की मौत हो गई थी। इसके बाद एनजीओ कुटुंब और अमरीक सिंह बब्बर ने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ता ने रिटायर्ड जज की निगरानी में दिल्ली में हुए अवैध निर्माण की जांच की मांग रखी। सुनवाई के दौरान दिल्ली नगर निगम के वकील ने कहा कि दिल्ली पुलिस जांच कर रही है। हम अभी कार्रवाई नहीं कर सकते। वहीं पुलिस के वकील ने कहा कि हमारी जांच का दायरा सीमित है। इनकी किसी कार्रवाई में हमारे चलते कोई बाधा नहीं हो रही।
कोर्ट ने कहा-जिम्मेदारों पर हो कार्रवाई
इसके बाद जज ने कहा कि अगर वह ड्रेन बंद है तो जिन अधिकारियों की इस बारे में ज़िम्मेदारी है, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हमें लगता है कि दिल्ली में भयंकर अव्यवस्था है। किस एजेंसी का काम क्या है, पता ही नहीं चलता। यह नहीं पता कि आखिरी बार कैबिनेट की बैठक कब हुई? दिल्ली के पूरे प्रशासन पर दोबारा विचार की ज़रूरत है। इसके लिए एक कमेटी बनानी होगी।
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