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नेहरू के ऐतिहासिक पत्रों पर विवाद: कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग

जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखे गए ऐतिहासिक और निजी पत्रों को लेकर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है

नेहरू के ऐतिहासिक पत्रों पर विवाद: कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग

जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखे गए ऐतिहासिक और निजी पत्रों को लेकर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। प्रधानमंत्रियों के संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) ने इन पत्रों को वापस लाने के लिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी से अनुरोध किया है। इस मुद्दे पर भाजपा ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

भाजपा का आरोप

भाजपा सांसद संबित पात्रा ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा:

  • इन पत्रों में ऐसा क्या था जो गांधी परिवार देश के सामने नहीं लाना चाहता?

  • पात्रा ने आरोप लगाया कि 2008 में यूपीए शासन के दौरान सोनिया गांधी ने संग्रहालय से 51 बक्सों में मौजूद ऐतिहासिक पत्रों को अपने पास मंगवा लिया।

  • उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि 2010 में जब इन दस्तावेजों का डिजिटलीकरण किया जाना था, तो सोनिया गांधी ने उन्हें पहले ही क्यों ले लिया।

  • पत्रों में नेहरू द्वारा एडविना माउंटबेटन, जयप्रकाश नारायण, अल्बर्ट आइंस्टीन, और अन्य नेताओं को लिखे गए पत्र शामिल हैं, जो देश के लिए ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

 

PMML का अनुरोध

प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (PMML) के सदस्य रिजवान कादरी ने राहुल गांधी को पत्र लिखकर सोनिया गांधी से मूल पत्रों को वापस लाने या उनकी डिजिटल कॉपी उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।

  • सितंबर में भी सोनिया गांधी को ऐसा ही अनुरोध भेजा गया था।

  • कादरी का कहना है कि ये पत्र राष्ट्र की संपत्ति हैं और निष्पक्ष शोध के लिए इन तक पहुंच आवश्यक है।

  • उनका दावा है कि नेहरू और मोतीलाल नेहरू द्वारा छोड़े गए महत्वपूर्ण अभिलेख नेहरू मेमोरियल संग्रहालय में संरक्षित थे, जिन्हें सार्वजनिक अध्ययन के लिए उपलब्ध कराना चाहिए।

 

कांग्रेस की प्रतिक्रिया और विवाद का महत्व

इस मामले पर कांग्रेस की ओर से अब तक कोई सीधा जवाब नहीं आया है, लेकिन भाजपा ने सवाल उठाकर इस मुद्दे को बड़ा बना दिया है।

  • भाजपा ने पूछा है कि क्या राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता होने के नाते इन पत्रों को लौटाने के लिए पहल करेंगे।

  • पत्रों में नेहरू और एडविना माउंटबेटन के बीच की कथित बातचीत को लेकर भी चर्चा हो रही है, जो ऐतिहासिक दृष्टि से संवेदनशील मानी जाती है।

 

सियासी पृष्ठभूमि और संग्रहालय का इतिहास

  • नेहरू के निधन के बाद उनके निवास स्थान तीन मूर्ति भवन को नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में तब्दील कर दिया गया था।

  • हाल ही में इसे प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय का नाम दिया गया, जो अब सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान को समर्पित है।

  • संग्रहालय में दुर्लभ ऐतिहासिक दस्तावेज़ और अभिलेख मौजूद हैं, जो भारत के इतिहास और राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालते हैं।

 

नेहरू के पत्रों को लेकर उठे इस विवाद ने ऐतिहासिक अभिलेखों की पारदर्शिता और उनके सार्वजनिक उपयोग को लेकर एक गंभीर चर्चा को जन्म दिया है। भाजपा इसे कांग्रेस के विरुद्ध एक बड़े राजनीतिक मुद्दे के रूप में पेश कर रही है, जबकि कांग्रेस की ओर से इस पर अभी प्रतिक्रिया का इंतजार है।

 

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