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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर

चुनाव नियमों पर चल रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मतदान की वीडियो क्लिप संरक्षित रखने का निर्देश दिया है

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर

चुनाव नियमों पर चल रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मतदान की वीडियो क्लिप संरक्षित रखने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि जब तक याचिकाओं का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक सीसीटीवी रिकॉर्डिंग संरक्षित रखी जाए।

मुख्य बिंदु:

मतदान की वीडियो क्लिप को संरक्षित रखने का निर्देश
चुनाव आयोग के नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई
चुनाव आयोग को हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय
मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के फैसले को मनमाना बताया गया

क्या है मामला?

याचिकाकर्ता इंदु प्रकाश सिंह ने चुनाव आयोग के उस नियम को चुनौती दी है, जिसमें प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या 1200-1500 तक बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। उनका तर्क है कि यह फैसला बिना किसी ठोस डेटा के लिया गया और इससे मतदाताओं के अधिकार प्रभावित होंगे।

उन्होंने तर्क दिया कि:
मतदान केंद्रों पर भीड़ बढ़ने से कई मतदाता वोट डालने से वंचित रह सकते हैं।
कुछ केंद्रों पर मतदान प्रतिशत 85-90% तक रहता है, जिससे कतार लंबी हो सकती है।
मतदान का समय सीमित होने के कारण कई मतदाता निराश होकर मतदान छोड़ सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी:

सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने चुनाव आयोग से पारदर्शिता बनाए रखने को कहा।
चुनाव आयोग को वीडियो रिकॉर्डिंग संरक्षित रखने का निर्देश दिया गया।
हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया।

पहले भी उठ चुका है चुनावी पारदर्शिता का मुद्दा

इससे पहले, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 1961 के चुनाव नियमों में हुए संशोधनों के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें सीसीटीवी तक सार्वजनिक पहुंच न देने का मुद्दा उठाया गया था।

क्या होगा आगे?

अब चुनाव आयोग को तीन हफ्तों में अपना जवाब दाखिल करना होगा।

 सुप्रीम कोर्ट आगे की सुनवाई में तय करेगा कि चुनाव आयोग के फैसले को बदला जाए या नहीं।
मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर चुनाव आयोग पर अतिरिक्त दबाव बढ़ सकता है।

 

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