नई दिल्ली। अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग ने सेबी चीफ माधवी बुच को एक बार फिर आरोपों के घेरे में लिया है। हिंडनबर्ग ने कहा है कि सेबी चीफ रहते हुए बुच ने महिंद्रा एंड महिंद्रा, आईसीआईसीआई बैंक, डॉ. रेड्डी लैबोरेट्रीज तथा पिडिलाइट इंडस्ट्रीज से पेमेंट लिया है। यह पेमेंट उन्होंने अपने निजी कंसल्टिंग फर्म के जरिए लिया है। इस फर्म में बुच की 99% हिस्सेदारी है।
उल्लखनीय है कि हिंडनबर्ग ने सेबी चीफ से पहले अडानी समूह को लेकर खुलासा किया था। उसने अडानी समूह पर वित्तीय अनियमितताओं और स्टॉक मैनिपुलेशन के गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद अडानी के शेयरों पर बुरा असर पड़ा। अडानी का मार्केट कैप आधे से भी अधिक गिर गया। इसके बाद एक और खुलासे में हिडंनबर्ग ने सेबी चीफ माधवी पुरी बुच पर आरोप लगाते हुए कहा था कि अडानी समूह की ठीक ढंग से जांच नहीं की गई।
कांग्रेस ने भी लगाए हैं आरोप
कांग्रेस द्वारा भी हाल ही में सेबी चीफ पर कई कंपनियों से भुगतान लेने के आरोप लगाए गए थे। हिंडनबर्ग रिसर्च ने बुधवार को कहा कि सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच ने अपने खिलाफ लगे आरोपों पर कई हफ्तों तक पूरी तरह से चुप्पी साधे रखी। अब हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि बुच ने सेबी चेयरपर्सन के पद पर कार्यरत रहते हुए अपनी निजी कंसल्टिंग फर्म के जरिए कई लिस्टेड कंपनियों से पेमेंट हासिल किया। इन सभी फर्म में बुच की 99% हिस्सेदारी है। चार बड़ी कंपनियों के अलावा हिंडबर्ग ने सिंगापुर में भी एक कंसल्टिंग फर्म का भी जिक्र किया।
चारों तरफ से घिर रहीं हैं बुच
माधवी पुरी बुच अब चारों तरफ से घिरती नजर आ रही हैं। हाल ही में सेबी के अधिकारियों व कर्मचारियों ने वित्त मंत्रालय में उनके खिलाफ शिकायत की थी। जब सेबी की तरफ से कहा गया कि यह शिकायत बाहरी तत्वों के दवाब में है तो कर्मचारियों ने सेबी कार्यालय के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। सेबी के अधिकारियों व कर्मचारियों ने टॉक्सिक वर्क कल्चर का मामला उठाते हुए बुच के इस्तीफे की मांग की है। इधर, जेपीसी भी बुच को तलब करने की तैयारी में है।
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