लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की गरिमा और लोकतंत्र की मजबूती पर दिए सुझाव
पटना में आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का समापन महत्वपूर्ण चर्चाओं और सुझावों के साथ हुआ
- Published On :
21-Jan-2025
(Updated On : 21-Jan-2025 10:59 am )
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की गरिमा और लोकतंत्र की मजबूती पर दिए सुझाव
पटना में आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का समापन महत्वपूर्ण चर्चाओं और सुझावों के साथ हुआ। इस सम्मेलन की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने की। सम्मेलन का मुख्य विषय था, संविधानिक मूल्यों को सुदृढ़ करने में संसद और विधायी निकायों का योगदान।

सदन की गरिमा पर गहरी चिंता
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदनों की गिरती प्रतिष्ठा और बार-बार होने वाले व्यवधानों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा सदन की गरिमा बनाए रखना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। जनता जनप्रतिनिधियों को जिन अपेक्षाओं के साथ चुनकर भेजती है, उन्हें पूरा करने का स्थान केवल संसद और विधानसभाएं हैं।उन्होंने सदन में नारेबाजी, बेल में आना और नियोजित गतिरोध को रोकने के लिए सभी राजनीतिक दलों से सार्थक प्रयास करने की अपील की।
सदन की उत्पादकता और सदस्यों की क्षमता निर्माण पर जोर
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सदन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नियमित बैठकों और सार्थक चर्चाओं को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया।
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सदस्यों की क्षमता और कौशल विकास पर बल देते हुए कहा गया कि इसके लिए समय-समय पर प्रशिक्षण और चर्चाएं होनी चाहिए।
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उन्होंने कहा कि सदनों में केवल उपयोगी और परिणामोन्मुखी चर्चाएं होनी चाहिए, जिससे शासन और प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
आचार संहिता बनाने का प्रस्ताव
लोकसभा अध्यक्ष ने सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे अपने दलों के लिए आचार संहिता बनाएं। उन्होंने कहा सदन की गरिमा उसके जनप्रतिनिधियों के मर्यादापूर्ण आचरण से जुड़ी होती है। आदर्श आचरण से न केवल सदन की गरिमा बढ़ेगी, बल्कि लोकतंत्र भी सशक्त होगा।
संसदीय समितियों की भूमिका को मजबूत करने का सुझाव
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उन्होंने 1954 में हुई चर्चा का उल्लेख करते हुए कहा कि संसदीय समितियों की भूमिका को बढ़ाना आवश्यक है।
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संसदीय समितियों को मिनी पार्लियामेंट का दर्जा देते हुए उनकी निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की बात कही गई।
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उन्होंने कहा कि संसदीय समितियां जनता के धन का सही उपयोग सुनिश्चित कर सकती हैं और शासन में ईमानदारी ला सकती हैं।
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