बिहार शिक्षा विभाग का अजीबो-गरीब फरमान: कुत्तों से निपटने का टास्क शिक्षकों पर
बिहार का शिक्षा विभाग एक बार फिर अपने अजीबो-गरीब फरमान की वजह से चर्चा में है
- Published On :
28-Dec-2024
(Updated On : 28-Dec-2024 11:09 am )
बिहार शिक्षा विभाग का अजीबो-गरीब फरमान: कुत्तों से निपटने का टास्क शिक्षकों पर
बिहार का शिक्षा विभाग एक बार फिर अपने अजीबो-गरीब फरमानों की वजह से चर्चा में है। इस बार विभाग ने सरकारी और निजी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे स्कूल परिसर में आवारा कुत्तों से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
फरमान की प्रमुख बातें:
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स्कूल प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि कुत्ते स्कूल परिसर में न आएं और आसपास न भटकें।
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विद्यालय परिसर में ऐसी कोई जगह न बनने दें, जहां कुत्ते बैठ सकें।
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यह आदेश केंद्र सरकार के पशुपालन विभाग से मिले निर्देश के आधार पर जारी किया गया है।
शिक्षकों और समाज में नाराजगी
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शिक्षक समुदाय:
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शिक्षकों का कहना है कि उनकी भूमिका बच्चों को शिक्षित करने की है, न कि आवारा कुत्तों से निपटने की।
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शिक्षक से बने नए MLC वंशीधर ब्रजवासी ने इस आदेश को "शिक्षकों की छवि खराब करने वाला" बताते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है।
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पशु कल्याण समूह:
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पशु क्रूरता के खिलाफ काम करने वाले स्वयंसेवी संगठनों ने इस आदेश को जानवरों के अधिकारों के खिलाफ बताते हुए विरोध शुरू कर दिया है।
प्रशासन की सफाई
शिक्षा विभाग ने कहा है कि यह आदेश बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए जारी किया गया है। केंद्र सरकार के पशुपालन विभाग से मिले निर्देश के आधार पर कार्रवाई की जा रही है।
व्यापक आलोचना
शिक्षा विभाग के इस आदेश के बाद शिक्षकों और पशु कल्याण संगठनों के बीच भारी असंतोष है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह फरमान शिक्षकों के मुख्य कर्तव्यों से ध्यान भटकाने और उनकी जिम्मेदारियों को अनावश्यक रूप से बढ़ाने का प्रयास है।
शिक्षा विभाग का यह नया निर्देश न केवल शिक्षकों के लिए चुनौती बन गया है, बल्कि इसे लेकर राजनीतिक और सामाजिक बहस भी तेज हो गई है।
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